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सोमवार, 24 नवंबर 2025

जन-जन की भाषा है संस्कृत!.....जीएसीसी में संस्कृत संभाषण कार्यशाला का हुआ शुभारंभ।

नेटवर्क इंदौर। प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस श्री अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में पांच दिवसीय संस्कृत संभाषण कार्यशाला का शुभारंभ सोमवार को हुआ। संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृत भाषा की विशेषज्ञ प्राचार्य शोभा जैन , संस्कृत भारती संस्था के प्रांत मंत्री सुरेंद्र शर्मा, झाबुआ संस्कृत कॉलेज के विभाग अध्यक्ष ब्रह्मचारी मोहन संस्कृत भारती के मुलेश कनेश उपस्थित हुए। इस मौके पर प्राचार्य शोभा जैन ने कहा कि संस्कृत केवल धार्मिक भाषा या धर्म ग्रंथो की भाषा नहीं है यह सामान्य जीवन की भाषा है। जिसे आज संरक्षण की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि इसके प्रचार प्रसार के लिए इसे व्यवहार में लाना जरूरी है। ऐसा नहीं है कि लोग इसे जानते नहीं है,हम पूजा अर्चना में जो मंत्र बोलते हैं उसे थोड़ा बहुत जानते जरूर है पर इसे अपने आते नहीं है। उन्होंने कहा कि स्पीच थेरेपी की मदद से संस्कृत बोलने में जो दिक्कत आती है उसे दूर किया जा सकता है। नई शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा इस धरोहर को समझने का कार्य कर रहे है। 

हमारे डीएनए में है संस्कृत- संस्कृत भारतीय संस्था के सुनील शर्मा ने कहा कि संस्कृत जन-जन की भाषा है। यह हमारे डीएनए में शामिल है, परंतु आज इसे हमारे सहयोग की आवश्यकता है, क्योंकि यह सिर्फ ज्ञान का ही नहीं बल्कि हमारे मानसिक विकास का भी एक जरिया है।

 कार्यशाला में संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर संगीता मेहता ने कहा कि भारत का ऐसा कोई कोना नहीं है जहां लोग इस भाषा को जानते ना हो। आज तकनीक के क्षेत्र में भी संस्कृत भाषा का उपयोग हो रहा है। मोबाइल के कई एप्प संस्कृत भाषा को विस्तार दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि  जनगणना के फॉर्म में भी भाषा का कॉलम होना चाहिए ताकि विलुप्त होती भाषाओं को संरक्षण दिया जा सके। अगर हमने संस्कृत का संरक्षण नहीं किया तो यह विश्व के पटल से ही नहीं बल्कि भारत के पटक से भी विलुप्त हो जाएगी। कार्यशाला की अध्यक्षता कर रही जीएसीसी की प्राचार्य डॉक्टर ममता चंद्रशेखर ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारे प्राचीन गौरव का प्रतीक है। हम भाषा को सुनकर भी इसे सीख सकते हैं। इसलिए कोशिश करे की हम बोल भले ना सके पर संस्कृत सुने जरूर। अगर हमें पावरफुल बनन है तो कम से कम दो भाषाओं का ज्ञान होना जरूरी है। कार्यशाला में प्रशिक्षक मुलेश कनेश ने संस्कृत व्याकरण की जानकारी दी। अतिथि परिचय प्रोफेसर ज्योति परेता ने किया। संचालन प्रोफेसर मीनाक्षी सिंह ने किया।