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गुरुवार, 11 सितंबर 2025

ईमानदारी, कठिन परिश्रम, अनुशासन और विनम्रता से ही जीवन में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया जा सकता है:- प्रोफेसर सिंह

डाॅ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के भूगर्भ शास्त्र विभाग में मनाया गया शिक्षक दिवस

नेटवर्क सागर। डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के भूगर्भ शास्त्र विभाग में गुरुवार को शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों को सम्मानित करने और उनके योगदान के प्रति आभार प्रकट करने के लिए एक गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद विभाग के सभी शिक्षकों ने मिलकर केक काटा। शोध छात्रों ने पुष्पगुच्छ और उपहार भेंटकर शिक्षकों का सम्मान किया।

      स्वागत भाषण में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ए. के. सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम शिक्षक दिवस इसलिए मनाते हैं ताकि गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ा सकें। हमें इस विरासत को संजोकर आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है। शोध कार्य के बिना कोई भी समाज या राष्ट्र आगे नहीं बढ़ सकता। इसके लिए ईमानदारी, कठिन परिश्रम, अनुशासन और विनम्रता आवश्यक हैं। यदि विद्यार्थी इन गुणों का पालन करेंगे तो भविष्य में निश्चित ही अंतर दिखाई देगा। आज प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक है, ऐसे में विनम्रता और अनुशासन ही आपको सबसे आगे ले जाएंगे।

     प्रोफेसर डी. सी. मेश्राम ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम हमेशा आपके साथ हैं। आप निसंकोच अपने सवाल पूछें, आगे बढ़ें और जीवन में प्रगति करें। हमारी शुभकामनाएँ आपके उज्ज्वल भविष्य के साथ हैं।

    डॉ. वी. पी. मालवीय ने कहा कि छात्र और शिक्षक का बंधन ज्ञान हस्तांतरण की नींव है। यह तभी सार्थक होता है जब दोनों तरफ से संवाद और सहभागिता हो। शिक्षा केवल एकतरफा प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसमें आपसी बातचीत और पारस्परिक सम्मान बहुत जरूरी है।

      डॉ. जी. के. सिंह ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि विभाग के लगातार आगे बढ़ने पर विभाग को बधाई। एक अच्छे इंसान बनने की प्रक्रिया एक दिन में पूरी नहीं होती, बल्कि रोजमर्रा की छोटी-छोटी सीखों से ही व्यक्तित्व का विकास होता है। हमें हमेशा प्रयास करना चाहिए कि हम और बेहतर इंसान बनें। कक्षा को न छोड़ें, क्योंकि व्यक्तित्व का निर्माण कक्षा से ही होता है। हर दिन सीखने का बेहतर अवसर है।

     डॉ. राजीव खाल्खो ने कहा कि छात्र भी शिक्षक के लिए एक शिक्षक की भूमिका निभाते हैं। उनका उत्साह और प्रतिक्रिया हमें बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है। 

     डॉ. सेल्वा कुमार ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि हम दार्शनिकों, डॉ राधाकृष्णन और डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। लेकिन यदि हम स्वयं पूरे मन से किसी कार्य में शामिल नहीं होंगे तो सफलता संभव नहीं है।

     डॉ. एन. के. पटेल ने कहा कि सीखने की प्रक्रिया दोतरफा होती है। इसमें शिक्षक और छात्र दोनों की सहभागिता जरूरी है। हमें छोटी-छोटी बातों से सीखकर पूर्णता की ओर बढ़ना चाहिए। यदि हम एक-दूसरे से सीखते रहेंगे तो निश्चित ही विभाग को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकेंगे।

     साथ ही प्रोफेसर आर. के. रावत, डॉ के. के. प्रजापति और डॉ अदिति शर्मा ने भी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में छात्रों ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी और शिक्षकों के मार्गदर्शन के प्रति आभार प्रकट किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन के साथ समारोह का समापन हुआ।