//अभिषेक सिंह ठाकुर//
बाकानेर(धार)। मध्यप्रदेश के धार जिले के मनावर तहसील के वराहनगर (बड़दा) जो कि माँ नर्मदा जी के किनारे स्थिति है, वराहनगर अपने आप मे धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, भगवान विष्णु ने वाराह अवतार ले कर देत्यासुर नामक राक्षस जो पृथ्वी सहित समस्त वेदों को पाताल लोक ले गया था, भगवान ने उस राक्षस का वध कर पापों से मुक्ति हेतु यहाँ बड़दा (वराहनगर) में वराहेश्वर महादेव की स्थाना कर पूजा अर्चना की ओर माँ नर्मदा जी मे स्नान कर पाप मुक्त हुए,
यहाँ पर भगवान महाकाल ( महाँकालेश्वर जी) का अति प्राचीन मंदिर है जो, नगर के पूर्व में नर्मदा जी के किनारे स्थित है, मंदिर परिषर सिद्ध ओर चेतन्य है यहाँ आ कर लोग अपने पापों से मुक्ति, ओर मनवांछित फल की कामना करते है, यह कपिल ऋषि की तपों स्थली भी हे, यहां पर कपिल ऋषि ने कई यज्ञ किए हे यहां की मिट्टी आज भी भस्म के रूप में मिलती हैं, कई साधु महात्मा, परिक्रमा वाशी यहां की मिट्टी अपने साथ ले जाते हैं।
वराहनगर बड़दा में भगवान नारायण देव की 4 - 5 फिट ऊची पाषाण की सुंदर प्रतिमा है जो तिरुपति बालाजी की तरह है, इस तरह की सुंदर प्रतिमा पूरे नर्मदा खंड में कही देखने को मिलेगी नही मिलेगी , इस मंदिर ओर प्रतिमा को ले कर एक वास्तविक घटना हे जो इस प्रकार हे, प्राचीन काल में बड़वानी क्षेत्र(नर्मदा जी के दूसरे मुहाने पर बड़वानी जिला है ) के कुछ धार्मिक व्यक्ति ओर समाज के लोग बड़वानी में माता लक्ष्मी जी ओर भगवान नारायण जी की प्रतिमा स्थापित करना चाहते थे, सभी ने मिल कर मूर्ति का निर्माण कराया ओर वहां से बड़वानी लाने के लिए प्रस्थान किया, चुकी उस समय आवागमन के कोई संसाधन नहीं हुआ करते थे, सिर्फ बैल गाड़ी, हाथी, घोड़े आदि ही समान लाने ले जाने के लिए उपयोग में आते थे , दोनों प्रतिमाओं को दूर स्थान से लाने में कई दिन लगे ओर अलग अलग स्थानों पर रुकते हुए एक दिवस वराहनगर(बड़दा) पहुंचे रात्रि विश्राम किया और सुबह जब सभी निकलने लगे तो पाया कि जिस रथ गाड़ी में भगवान चतुर्भुज श्री नारायण जी की मूर्ति थी वह रथ आगे ही नहीं बढ़ पाया, अनेकों प्रयास किए, एवं रथ को घोड़े, हाथी, उपस्थिति जन समुदाय आदि ने सभी प्रयास किए पर रथ आगे नहीं गया तब सभी ने निर्णय लिया कि भगवान की मर्जी यहां से जाने की नहीं हे इस मूर्ति की यही पर स्थापना कर दी जाए और माता लक्ष्मी जी को आगे अपने साथ ले जाया जाए, तभी से भगवान नारायण जी यही स्थापित हे ओर बड़वानी में झण्डा चौक रावले के पीछे रानीपुरा में आज भी माता लक्ष्मी जी का मंदिर स्थापित है, पौराणिक मान्यता रह भी हे कि भगवान विष्णु जी ने जब वाराह अवतार लिया था वही भगवान नारायण के रूप में स्वयं उपस्थिति हुए हैं, वर्तमान में नारायण देव मंदिर के पास पूर्व में गांव के समाजसेवी परिवार के द्वारा दान दी गई 54 बीघा कृषि भूमि हे जो जिला कलेक्टर के अधीन हे, कृषि भूमि के प्रतिवर्ष एक वर्ष के लिए लीज पर दी जाती हे ओर इस राशि से मंदिर व पुजारी आदि का खर्च किया जाता है।
वराहेश्वर मंदिर परिषर के समीप ही ब्राह्मणों के कुल देवता कपला बाबा का स्थापित हे, पूर्वजों के अनुसार कपला बाबा स्वयंभू हे ओर भगवान ब्रह्मा जी के रूप में उपस्थित हे, ब्राम्हण समाज में जनेउ संस्कार के कार्यक्रम भी यही पर होते हे, दूर - सुदूर स्थानों से लोग यहां आते हे ओर अपनी मन्नते पूरी करते है, यहां कपिल मुनि की कर्म भूमि भी रही है,
देवभूमि वराह में ब्रह्मा जी(कपला बाबा), विष्णु जी(भगवान नारायण देव) ओर महेश(वराहेश्वर महादेव) तीनों उपस्थित है साथ ही मध्यप्रदेश की जीवन रेखा, पतित पावनी मां नर्मदा जी, व राजपूत समाज तंवर वंश की कुल देवी शक्ति स्वरूपा मां चूड़ु बाई माता दोनों विद्यमान हैं, इसी लिए हम कह सकते हे कि सच में वराहनगर देव भूमि हैं...
वराहनगर(बड़दा) में ही नर्मदा पुत्र, पर्यावरण एव जलवायु परिवर्तन पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे जी द्वारा बनाए गए संगठन नर्मदा समग्र की मध्यप्रदेश की सबसे सक्रिय सदस्य टोली बनी है, मंदिर परिसर में ही दवे जी द्वारा अपनी सांसद निधि से 15 लाख रुपये की राशि से परिक्रमा वासियों की लिए आश्रय स्थल का निर्माण करवाया गया है, जिसमे परिक्रमा वासियो के लिए अन्न क्षेत्र का संचालन नर्मदा समग्र की टीम द्वारा किया जाता है
नर्मदा समग्र टीम के सक्रिय कार्यकर्ता और समाजसेवी कुलदीप सिंह मंडलोई द्वारा बताया गया है कि मंदिर माँ नर्मदा जी के किनारे स्थित होने से, सरदार सरोवर डेम में पानी रोके जाने से मंदिर के चारो ओर पानी भर जाता है, मंदिर नर्मदा जी के किनारे स्थित होने के कारण बाढ़ के पानी से दिनों दिन मिट्टी कटाव हो रहा है जिससे आने वाले कुछ वर्षों में मंदिर का अस्तित्व ही समाप्त हो जाने का खतरा है ओर ये धार्मिक क्षेत्र,आस्था का केन्द्र अपने अस्तित्व को खो देगा, स्थानीय युवा, स्वयंसेवक, गाँव के सामाजिक संघटन, गाँव की जनता इसके संरक्षण हेतु कार्य कर रहे है परंतु कार्य बड़ा और ज्यादा होने के कारण कार्य बिना शासन प्रशासन के सहयोग के संभव नही हो सकता है, सभी वराहनगर के स्वयंसेवक, सामाजिक संघटनों के कार्यकर्ता, नगर के नागरिक, क्षेत्र की जनता शासन प्रशासन से, क्षेत्र के राजनीति संघटनों के लोगों से, सांसद , विधायक मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी ओर देश के यशश्वी प्रधानमंत्री जी से ओर अन्य सभी लोगो जो इस पुनीत कार्य में सहयोग करने में सक्षम है सभी से निवेदन करते है की इस मंदिर परिषर के संरक्षण का कार्य किया जाए ताकि मंदिर और स्थान का संरक्षण किया जा सके, इस पुनीत कार्य हेतु आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।