नेटवर्क इंदौर। धर्म को जबसे हमने कर्म से बाहर कर दिया है तब से देश में भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं बढ़ गयी है। समस्याओं को जड़ से हटाने के लिए धर्म से जुड़ना होगा। यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचीव डॉ. अतुल कोठारी ने कही वे विकसित भारत के संदर्भ में भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे। प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सिलेंस श्री अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में मंगलवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचीव डॉ. अतुल कोठारी विशेष अतिथि के रूप में म.प्र. लोक सेवा आयोग की पूर्व अध्यक्ष शोभा ताई पैठनकर, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मध्य क्षेत्र संयोजक ओमप्रकाश शर्मा व देवी अहित्या विश्वविद्यालय के कुलपति राकेश सिघई उपस्थित हुए। कार्यकम में डॉ. कोठारी ने कहा कि देश को विकसित करने के लिए देश के प्रत्येक क्षेत्र को विकसित करना होगा। इसके लिए देश के प्रत्येक क्षेत्र को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ना होगा। शिक्षा ही सबका आधार है। उन्होने कहा कि एक समय पहले भारत विश्व गुरू था लोग व्यवसाय व कला तक सिखने हमारे पास आते थे क्योकि हम अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़े थे। दुबारा हमे विश्वगुरु बनने के लिये भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़ना होगा।
भारतीय ज्ञान की पहली शिक्षा नीति -
डॉ. अतुल कोठारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 भारत की तीसरी शिक्षा नीति है। पर यह पहली शिक्षा नीति है जो भारतीय परम्परा से जुडी है। उन्होने कहा कि इस शिक्षा नीति का उद्देश्य ऐसे नागरिक बनाना जो सिर्फ देखने से भारतीय ना लगे बल्कि उनके विचार, कार्य व्यवहार और बोधिकता भी भारतीय हो। मैकाले की शिक्षा नीति ने हमे शरीर से भारतीय बनाया पर हमारे दिल व दिमाग को अंग्रेजी का गुलाम बना दिया। उन्होने कहा की भारतीय ज्ञान परम्परा के लिये भारतीय तत्व दर्शन को समझना होगा। डॉ. कोठारी ने कहा कि महाभारत रामायण हमारे आधार है इनके मुलतत्व को लेकर पाठ्यक्रम का निर्माण करना हमारे सामने चुनौती है। विश्व सुख शांती स्थापित करना ही भारतीय ज्ञान परम्परा का लक्ष्य है।
शिक्षा के साथ कौशल भी- कार्यकम के विशेष अतिथि ओमप्रकाश शर्मा ने कहा कि देश को विकसित करने के लिए विद्यार्थी को स्वय को आत्मनिर्भर बनाना होगा। ज्ञान के साथ कौशल भी सीखना होगा। जब तक हम स्वंय आत्मनिर्भर नहीं बनेगे देश आत्मनिर्भर नहीं बन सकेगा। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ यह ना सोचे कि देश ने हमे क्या दिया, हम यह सोचे कि हमने देश को क्या दिया।
हमारी परम्परा में छुपा परमाणु सिद्धांत-
जब विश्व डाल्टन के परमाणु सिद्धात पर बात कर रहा था उसके कई सालों पहले हमारे ऋषि कणाद परमाणु सिद्धांत हमे समझा चुके थे। यही हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा की विशेषता है। यह बात देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरू डॉ. राकेश सिघई ने कही। उन्होने कहा कि वर्तमान में श्वानोको लेकर जो विवाद चल रहा है उसमे एक पक्ष उनके संरक्षण की मांग कर रहा है। यह हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा को ही दर्शाता है। हम प्रत्येक जीव में परमात्मा को देखते है। उन्होने कहा कि देश को विकसित करने के लिए स्वंय विकसित होना पडेगा ना कि किसी देश के साथ अपनी तुलना करके। इस मौके पर म.प्र. लोक सेवा आयोग की पूर्व अध्यक्ष शोभा ताई पैठनकर ने कहा कि राष्ट्र को बदलना है तो शिक्षा को बदलना जरूरी है। इस बात को ध्यान में रखकर नई शिक्षा नीति 2020 बनाई गई है। इस शिक्षा नीति का निर्धारण ही भारतीय ज्ञान परंपरा को ध्यान में रखकर किया गया है। इसमें चरित्र निर्माण के साथ पर्यावरण, स्वास्थ, तकनीक को भी स्थान दिया गया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग , इंदौर संभाग के आर. सी.दीक्षित ने कहा कि देश को विश्व गुरु बनाने के लिए हमे अपनी जड़ो से जुड़ना होगा। इस मौके पर महाविद्यालय की प्राचार्य ममता चन्द्रशेखर ने कहा कि मां के आंचल, पिता के भाव व दादाजी के वचनों में हमारी संस्कृति ,हमारी परम्परा छुपी है। जिसे शिक्षा के जरिए नई पीढ़ी तक पहुंचाना होगा।
कार्यक्रम के समापन सत्र में राष्ट्रीय सेवा योजना के जिला समन्वयक डॉ सचिन शर्मा, समाजसेवी विनोद बिड़ला, होम्योपैथी के विशेषज्ञ डॉ.अश्विनी कुमार दूबे मुख्य रूप से उपस्थित हुए एवं उन्होंने अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी में 46 शोध पत्रों का ऑनलाइन और ऑफलाइन वाचन किया गया। इस मौके पर भारतीय ज्ञान परम्परा से सम्बंधित पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी। संगोष्ठी में मुख्य रूप से डॉ.प्रकाश गर्ग, डॉ.दिनेश पुरोहित, डॉ.आशीष पाठक , डॉ. संध्या गोयल एवं अन्य गणमान्य प्राध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित हुए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संध्या भार्गव ने किया आभार डॉ संजय प्रसाद ने माना। उक्त जानकारी डॉ.वन्दना जोशी ने दी।