नेटवर्क इंदौर। शिक्षा नीति का उद्देश्य मानव संसाधन के रूप में विद्यार्थी का विकास करना नहीं बल्कि अच्छे व्यक्ति के रूप में उन्हें इंसान बनना है। यह बात दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉक्टर राजीव रंजन गिरि ने कहीं। वे नई शिक्षा नीति चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास विषय पर आयोजित वेबीनार में बोल रहे थे। मंगलवार को श्री अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग, दर्शनशास्त्र विभाग एवं आई.क्यू.एस.सी. के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार आयोजित इस वेबीनार में मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉक्टर राजीव रंजन गिरि एवं युवराज दत्त पीजी कॉलेज उत्तर प्रदेश के प्रो.संजय कुमार उपस्थित हुए।
विभिन्नता में एकता दिखाती शिक्षा नीति- कार्यक्रम के प्रथम सत्र में डॉक्टर राजीव रंजन गिरि ने कहा कि भारत को ऊपरी ओर से देखने पर कई विभिन्नताएं नजर आती है पर इसकी अंदर छुपी एकात्मकता को देखना हमें नई शिक्षा नीति सिखाती हैं। उन्होंने कहा कि अपनी परंपरा से जुड़कर मूल्यों का निर्माण करना ही नहीं शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है।
समाज से जुड़ना सिखाती है नीति- उत्तर प्रदेश के प्रोफेसर संजय कुमार ने कहा कि कई बार विद्यार्थी अपने परिवार की बाध्यता से विषय का चुनाव करते हैं इस बाध्यता को नई शिक्षा नीति ने समाप्त कर दिया है। अब आप दो पाठ्यक्रम का चयन एक साथ कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी को समाज से जोड़ना है। इसी को ध्यान में रखकर नवीन शिक्षा नीति में फील्ड वर्क को जोड़ा गया है, ताकि अध्ययन के साथ विद्यार्थी समाज के लिए भी अपनी भूमिका का निर्वहन कर सके।
कार्यक्रम में अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा, इंदौर डॉक्टर आर.सी. दीक्षित ने कहा की विद्यार्थियों की व्यक्तित्व के निर्माण में इस तरह के वेबीनार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर ममता चंद्रशेखर ने अतिथियों का परिचय व स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में 25 प्राध्यापक व शोधार्थियों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। कार्यक्रम की रूपरेखा डॉ. कविता रावत वह डॉ. सुनीता शर्मा ने प्रस्तुत की। संचालन डॉ. एस.पी. पांडे ने किया आभार डॉ. अरुण आर्य ने माना।